25/04/2020
सूत्र- द्रव्यगुणयोः सजातीया रम्भकत्वं साधर्म्यम् ॥ सूत्रार्थ- समान जातिवाले को उत्पन्न करना ये द्रव्य गुण दोनों के समान धर्म हैं ।
25/04/2020
सूत्र- सदनित्यं द्रव्यवत् कार्यं कारणं सामान्यविशेषवदिति द्रव्यगुणकर्मनामविशेषः॥ सूत्रार्थ- सत्ता होना अनित्य होना द्रव्य के आश्रित रहना कार्य - कारण कहलाना समानताओं तथा विशेषताओं वाला होना यह सब द्रव्य गुण कर्मो में साधर्म्य है।
25/04/2020
सूत्र- सदनित्यं द्रव्यवत् कार्यं कारणं सामान्यविशेषवदिति द्रव्यगुणकर्मनामविशेषः॥ सूत्रार्थ- सत्ता होना अनित्य होना द्रव्य के आश्रित रहना कार्य - कारण कहलाना समानताओं तथा विशेषताओं वाला होना यह सब द्रव्य गुण कर्मो में साधर्म्य है।
25/04/2020
सूत्र- सदकारणवन्नित्यम् ॥ सूत्र- तस्य का र्यं लिङ्ग म् ॥ सूत्र-कारणभावात् कार्यभावः ॥ सूत्र- अनित्य इति विशेषतः प्रतिषेधभावः ॥ सूत्र- अविद्या ॥
25/04/2020
सूत्र- सुखदुःखज्ञाननिष्पत्त्य विशेषादैकात्म्यम् ॥ सूत्रार्थ-सुख दुख सर्वाङ्ग विकलाङ्ग जन्म मरणादि व्यवस्थाओं से प्रत्येक शरीर में अलग अलग आत्माए है। सूत्र- व्यवस्थातो नाना ॥ सूत्रार्थ- शास्त्रके समर्थन से भी आत्माए अनेक है। सूत्र- शास्त्रसामर्थ्याच्च ॥
25/04/2020
सूत्र- न तु शरीरविशेषाद् यज्ञदत्त –विष्णुमित्रयोर्ज्ञानंविषयः ॥ सूत्र- अहमिति मुखय योगाश्भंवभ शबदिवद्व्य तिरेकाव्यभिचाराद् –विशेषसिद्धर्नागमिकः ॥
25/04/2020
सूत्र- देवदत्तो गच्छति यज्ञदत्तो गच्छतीत्युपचाराच्छारीरे प्रत्ययः ॥ सूत्र- सन्दिग्धस्तूपचारः ॥ सूत्र- अहमिति प्रत्यगात्मनि भावात्त परत्राभावादर्थान्तरप्रत्यक्षः ॥ सूत्र- देवदतोाच गचछमतितीतुम पचारादभिमाना – त्तावच्छरीरप्रत्यक्ष sहंकारः ॥ सूत्र- सनित्गधेसू
25/04/2020
सूत्र- अहमिति शब्दस्य व्यतिरकान्नागमिकम् सूत्र- यदि दृष्टमन्वक्षमहं देवदत्तोsहं यज्ञदत्त इति ॥ सूत्र- दृष्ट आत्मनि लिङ्गे एक एव दृढत्वा त्प्रत्यक्षव त्प्रत्ययः ॥
25/04/2020
सूत्र- अहमिति शब्दस्य व्यतिरकान्नागमिकम् ॥ सूत्रार्थ- “अहं” इस अनुभूति से आत्मा शब्द का भेद होने से जीवात्मा केवल शब्द प्रमाण से ही सिद्ध नहीं है। बल्कि पहले प्रत्यक्ष से ही सिद्ध है। अहं शब्द का आत्मा शब्द से भेद होने से जीवात्मा कि सिद्धि केवल शब्द प्रम
25/04/2020
सूत्र- प्राणापाननिमेषोन्मेषजीवन मनोगतीन्द्रियान्तरविकाराः सुखदुःखेच्छाद्वेषप्रयत्नाश्चात्मनो लिङगानि ॥ सूत्रार्थ- आत्मा का द्रव्यत्व और नित्यत्व वायु के तुल्य समझना चाहिए। सूत्र- तस्य द्रवित्वनित्यत्वे वायुना व्याख्याते ॥ सूत्रार्थ- यज्ञ दत्त का शरीर देखन