दर्शन योग धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा संचालित वैदिक परिषद् प्रत्येक राज्य में “वेद प्रचार समिति” की स्थापना करेगी । इस समिति के माध्यम से अपने मुख्य प्रयोजनों को एक सुनियंत्रित व्यवहारिक रूप दिया जाएगा ।
नाम:- “वेद प्रचार समिति”।
१. सुनियंत्रित व व्यवस्थित रूप से जन - जन तक वेद का संदेश पहुंचाना । योग्यता व रुचि अनुसार आवश्यक वैदिक दर्शन आदि साहित्य का अध्यापन करवाना ।*
२. वैदिक योगविद्या के द्वारा ईश्वर साक्षात्कार करना तथा करवाना ।
३. जन साधारण तक वैदिक ज्ञान,योग विद्या,ईश्वरभक्ति,नैतिकता,अनुशासनता,राष्ट्रभक्ति,मानवता,विश्वभातृत्व आदि गुणों के स्थापितकरना ।
१. उद्देश्ययों कार्यन्मीत करने के लिए शिविर,कार्यशाला,वक्तृत्वादि प्रतियोगिता,प्रदर्शनी आदि का आयोजन करना ।
२. वैदिक योगविद्या पर क्रियात्मक अनुसंधान करना ।
३. प्रत्येकपरिवार में वैदिक संस्कारों तथा पंच महायज्ञ का स्थापन करना ।
४. योजनाबद्ध रूप में वैदिक परिवार,वैदिक ग्राम निर्माण करते हुए वैदिक राष्ट्र निर्माण के लिए प्रयास करना ।
५. संस्कृत शिक्षाके प्रचार-प्रसार के लिए शिविर,कार्यशाला,साहित्य प्रकाशन करना ।
६. वैदिक संस्कृति के प्रचार के लिए वेदपाठी,वैदिक विद्वान,वेद-प्रचारक,वैदिक ग्रंथ रचयिता,वैदिक गवेषक आदि को पुरस्कृत व सम्मानित करना,आर्थिक अनुदान,वृत्ति तथा अन्य सहायता देना ।
७. विभिन्न स्थानों में चल रहे साधनाश्रम,प्रचार केन्द्र,शिविर केन्द्र,गुरुकुल,योग महाविद्यालय की स्थापना में आर्थिक व शारीरिक सहयोग करना ।
८. कार्यरत् समाज,संगठन,समिति,संस्थानों में वैदिक विद्या और योगविद्या की संवृद्धि व सुरक्षा देना ।
९. वैदिक साधकों तथा वैदिक विद्वानों के लिए कार्यक्षेत्र उपलब्ध करवाना ।
१०. धार्मिक व्यक्तियों के साथ सभी प्रकार से मिलकर संगठित रहना ।
११. सभी को योग्यतानुसार सेवा के अवसर उपलब्ध करवाना ।
१२. अकाल, भूकम्प, बाढ़, अग्निकाण्ड, महामारी तथा इसी प्रकार की अन्य भौतिक आपदाओं की स्थिति में राहत कार्य करना तथा ऐसे राहत कार्यों में संलग्न संस्थाओं, संस्थानों अथवा व्यक्तियों को दान, चन्दा, अथवा अंशदान देना ।
१३. पर्यावरण शुद्धि हेतु अग्निहोत्र के लिए उत्तम हवन सामग्री,समिधा,गाय का घी आदि का निर्माण तथा वितरण करवाना ।
१४. शुद्ध सात्विक जैविक अन्न तथा भोज्य पदार्थ आदि का निर्माण तथा वितरण करवाना ।
१५. पर्यावरण की शुद्धि, सुरक्षा एवं सन्तुलन हेतु यज्ञादि का आयोजन, सम्पादन तथा एतदर्थ समायोजकों को आर्थिक सहायता देना । आदि आदि … ।
वैदिक परिषद के अंतरंग सभा द्वारा चयनित“प्रांतीय-समिति अध्यक्ष” ।
(चयनित के अभाव में दर्शन योग धर्मार्थ ट्रस्ट )
· एक राज्य में क्षेत्रानुसार विभाग (zone)स्तरीय वेद-प्रचार-समिति।
· एक विभाग में अनेक जिला स्तरीय वेद-प्रचार-समिति शाखा ।
· एक जिला में अनेक ब्लॉक स्तरीय वेद-प्रचार-समिति शाखा ।
· एक ब्लॉक में अनेक पंचायत स्तरीय वेद-प्रचार-समिति शाखा व ग्राम स्तरीय वेद-प्रचार-समिति शाखा ।
· प्रत्येकग्राम व पंचायत स्तरीय वेद-प्रचार समिति शाखा में अनेक “बाल वैदिक जिज्ञासु”,“किशोर वैदिक जिज्ञासु”,“युवक वैदिक जिज्ञासु”,“वैदिक श्रद्धालु”,“वैदिक प्रेरक”,“वैदिक प्रवक्ता” तथा “वैदिक परिवार” । (जिन को समय समय पर प्रमाण पत्र व सम्मान दिया जाएगा और विशेष प्रगति के लिए ध्यान दिया जाएगा ।)
क. बाल वैदिक जिज्ञासु १२ साल अवस्था तक किशोर वैदिक जिज्ञासु १३ से २० वर्ष अवस्था तक तथा युवक वैदिक जिज्ञासु २१ से अधिक अवस्था हो ।
ख. वैदिक मन्तव्य व सिद्धान्त (जो वेद तथा वेदानुकूल आर्ष वाङ्ग्मय पर आधारित महर्षि दयानन्द के ग्रंथ में वर्णित) प्रति श्रद्धा रखने वाला ।
ग. प्रतिदिन निराकार ईश्वर की वैदिक उपासना करने की इच्छा रखने वाला हो ।
घ. लगभग प्रतिदिन प्रातः ५ से ९ वजे के अंदर कम से कम १५ मिनिट समिति के निर्देश अनुसार ध्यान- स्वाध्याय आदि के लिए समय निकालने वाला हो ।
ङ. मानसिक,वाचनिक,शारीरिक व आर्थिक रूप में वेद-प्रचार-समिति का शुभचिन्तक हो ।
च. पंजीकृत शुल्क ५०/- रुपये राशि प्रदान करना । परिषद/ट्रस्ट से विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यकता अनुसार संकेत करने पर संबन्धित वेद-प्रचार-समिति शाखा से पूर्व निर्धारित (सर्वनिम्न मासिक ६०/- रुपया) नियमित जिज्ञासु सहयोग राशि रूप में प्रदान करना ।
छ. शाकाहारी होना तथा बीडी,सिगरेट,अफीम,शराब आदि मादक द्रव्यों का सेवन न करने के लिए संकल्प किया हो ।
(इस के अतिरिक्त धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए आवश्यक अतिरिक्त नियम व योग्यता प्रांतीय अध्यक्ष के सहमति से वृद्धि किया जा सकता है ।)
क. वैदिक मन्तव्य व सिद्धान्त (जो वेद तथा वेदानुकूल आर्ष वाङ्ग्मय पर आधारित महर्षि दयानन्द के ग्रंथ में वर्णित) को स्वीकार करने वाला ।
ख. प्रतिदिन निराकार ईश्वर की वैदिक उपासना करने के लिए समय लगाने वाला हो ।
ग. लगभग प्रतिदिन प्रातः ५ से ९ वजे के अंदर कम से कम १५ मिनिट समिति के निर्देश अनुसार ध्यान- स्वाध्याय आदि के लिए समय निकालने वाला हो ।
घ. मानसिक,वाचनिक,शारीरिक व आर्थिक रूप में वेद-प्रचार-समिति का शुभचिन्तक हो ।
ङ. संबन्धित वेद-प्रचार-समिति शाखा से पूर्व निर्धारित (सर्वनिम्न वार्षिक ५००/-रुपया) नियमित सदस्यता सहयोग राशि रूप में प्रदान करना ।
च. शाकाहारी होना तथा बीडी,सिगरेट,अफीम,शराब आदि मादक द्रव्यों का सेवन न करने वाला ।
छ. जुआ,मद्य,मांस,अफीम आदि का व्यवसाय न करने वाला ।
ज. जीवन में किसी आदर्श आध्यात्मिक लक्ष के लिए कोई संकल्प/नियम विशेष हों ।
(इस के अतिरिक्त धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए आवश्यक अतिरिक्त नियम व योग्यता प्रांतीय अध्यक्ष द्वारा वृद्धि किया जा सकता है ।)
क. वैदिक मन्तव्य व सिद्धान्त (जो वेद तथा वेदानुकूल आर्ष वाङ्ग्मय पर आधारित महर्षि दयानन्द के ग्रंथ में वर्णित) को स्वीकार करने वाला ।
ख. वैदिक धर्म के प्रसार के लिए लोगों को जोड़ते हो ।
ग. नियमित कम से कम पाक्षिक हवन करते हो ।
घ. प्रतिदिन निराकार ईश्वर की वैदिक उपासना करने वाला हो ।
ङ. लगभग प्रतिदिन प्रातः ५ से ९ वजे के अंदर कम से कम १५ मिनिट समिति के निर्देश अनुसार ध्यान- स्वाध्याय आदि के लिए समय निकालने वाला हो ।
च. “मैं आजीवन वैदिक धर्म आचरण में रहने का प्रयास करूंगा तथा अन्यों को भी यथासंभव/ यथानुकूल प्रेरित करूंगा ।” इस प्रकार संकल्प/नियम जीवन में हो ।
छ. मानसिक,वाचनिक,शारीरिक व आर्थिक रूप में वेद-प्रचार-समिति का शुभचिन्तक हो ।
ज. संबन्धित वेद-प्रचार-समिति शाखा से पूर्व निर्धारित (सर्वनिम्न वार्षिक ५००/-रुपया) नियमित सदस्यता सहयोग राशि रूप में प्रदान करना ।
झ. शाकाहारी होना तथा बीडी,सिगरेट,अफीम,शराब आदि मादक द्रव्यों का सेवन न करने वाला ।
ञ. जुआ,मद्य,मांस,अफीम आदि का व्यवसाय न करने वाला ।
(इस के अतिरिक्त धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए आवश्यक अतिरिक्त नियम व योग्यता प्रांतीय अध्यक्ष द्वारा वृद्धि किया जा सकता है ।)
क. वैदिक मन्तव्य व सिद्धान्त (जो वेद तथा वेदानुकूल आर्ष वाङ्ग्मय पर आधारित महर्षि दयानन्द के ग्रंथ में वर्णित) को स्वीकार करने वाला ।
ख. नियमित दैनिक हवन करते हो ।
ग. प्रतिदिन दोनों समय (प्रातः-सायं) वैदिक उपासना करने वाला हो ।
घ. जीवन में आदर्श लक्ष (ईश्वर प्राप्ति करना/करवाना) हो तथा साधक-बाधक को शाब्दिक रूप में जानते हुए उसी ओर प्रयास कराते हो ।
ङ. मानसिक,वाचनिक,शारीरिक व आर्थिक रूप में वेद-प्रचार-समिति का शुभचिन्तक हो ।
च. संबन्धित वेद-प्रचार-समिति शाखा से पूर्व निर्धारित (सर्वनिम्न वार्षिक ५००/-रूपया) नियमित सदस्यता सहयोग राशि रूप में प्रदान करना ।
छ. शाकाहारी होना तथा बीडी,सिगरेट,अफीम,शराब आदि मादक द्रव्यों का सेवन न करने वाला ।
ज. जुआ,मद्य,मांस,अफीम आदि का व्यवसाय न करने वाला ।
(इस के अतिरिक्त धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए आवश्यक अतिरिक्त नियम व योग्यता प्रांतीय अध्यक्ष द्वारा वृद्धि किया जा सकता है ।)
क. वय १० से ७० तक के परिवार के सभी सदस्य वैदिक मन्तव्य व सिद्धान्त (जो वेद तथा वेदानुकूल आर्ष वाङ्ग्मय पर आधारित महर्षि दयानन्द के ग्रंथ में वर्णित) को स्वीकार करने वाला ।
ख. नियमित दैनिक/साप्ताहिक/पाक्षिक हवन करते हो ।
ग. प्रतिदिन परिवार के मुखिया सहित अधिकांश सदस्य वैदिक उपासना करने वाला हो ।
घ. परिवार में वैदिक सोलह संस्कार स्थापित किए हो अथवा परिवार के मुख्य व्यक्ति वैदिक सोलह संस्कार स्थापित करने का दृढ़ संकलवान हो ।
ङ. परिवार के सभी सदस्य शाकाहारी होना तथा बीडी,सिगरेट,अफीम,शराब आदि मादक द्रव्यों का सेवन न करने वाला परिवार हो ।
च. परिवार के सभी सदस्य द्वारा जुआ,मद्य,मांस,अफीम आदि का व्यवसाय न करने वाला परिवार हो ।
(इस के अतिरिक्त धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए आवश्यक अतिरिक्त नियम व योग्यता प्रांतीय अध्यक्ष द्वारा वृद्धि किया जा सकता है ।)
दर्शन योग धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा संचालित वैदिक परिषद् प्रत्येक राज्य में “वेद प्रचार समिति” की स्थापना करेगी । इस समिति के माध्यम से अपने मुख्य प्रयोजनों को एक सुनियंत्रित व्यवहारिक रूप दिया जाएगा ।
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