26/04/2020
सूत्र- न दृष्टात् तत्सिद्धिर्निवृत्तेरप्यनुवृत्तिदर्शनात्* ।।2।। सूत्रार्थ= दृष्ट भौतिक साधनों से समस्त दुखों से निवृति मोक्ष कि प्राप्ति नहीं हो सकती, कुछ देर के लिए दुख छूट जाने पर भी फिर से वे दुख आजाते हैं, ऐसा देखा जाने से।
26/04/2020
सूत्र- प्रधानाविवेकादन्याविवेकस्य तद्धाने हानम् ।।57।। सूत्रार्थ= मुख्य वस्तु जीव और प्रकृति के संबंध में अविवेक होने से गौड़ पदार्थों के संबंध में भी अविवेक हो जाता है। और मुख्य पदार्थों के संबंध में अविवेक हट जाने पर गौड़ पदार्थों के संबंध में भी अविवे
26/04/2020
सूत्र- तद्योगोऽप्यविवेकान्नसमानत्वम्* ।।55।। सूत्रार्थ= प्रकृति और पुरुष का योग=संबंध अविवेक=मिथ्याज्ञान से होता है, इसके तुल्य और कोई निश्चित कारण नहीं है। सूत्र- नियतकारणात्तदुच्छित्तिध्र्वान्तवत् ।।56।। सूत्रार्थ= जैसे अंधकार का विनाश उसके विरोधी कार
26/04/2020
सूत्र- तद्योगोऽप्यविवेकान्नसमानत्वम्* ।।55।। सूत्रार्थ= प्रकृति और पुरुष का योग=संबंध अविवेक=मिथ्याज्ञान से होता है, इसके तुल्य और कोई निश्चित कारण नहीं है।
26/04/2020
सूत्र- गतिश्रुतिरप्युपाधियोगादाकाशवत् ।।51।। सूत्र- न कर्मणाऽप्यतद्धर्मत्वात् ।।52।। सूत्र- अतिप्रसक्तिरन्यधर्मत्वे ।।53।। सूत्र- निर्गुणादिश्रुतिविरोधश्चेति ।।54।।
26/04/2020
सूत्र- उभयपक्षसमानक्षेमत्वादयमपि ।।46।। सूत्र- अपुरुषार्थत्वमुभयथा ।।47।। सूत्र- न गति विशेषात् ।।48।। सूत्र- निष्क्रियस्य तदसम्भवात् ।।49।। सूत्र- मूर्तत्वाद् घटादिवत्समानधर्मापत्तावपसिद्धान्त: ।।50।।
26/04/2020
सूत्र- पूर्वभाविमात्रे न नियम: ।।41।। सूत्र- न विज्ञानमात्रं बाह्यप्रतीते: ।।42।। सूत्र- तदभावे तदभावाच्छून्यं तर्हि ।।43।। सूत्र- शून्यं तत्त्वं भावो विनश्यति वस्तुधर्मत्वाद् विनाशस्य ।।44।। सूत्र- अपवादमात्रमबुद्धानाम् ।।45।।
26/04/2020
सूत्र- दृष्टान्तासिद्धेश्च ।।37।। सूत्र- युगपज्जायमानयोर्न कार्यकारणभाव: ।।38।। सूत्र- पूर्वापाये उत्तरायोगात् ।।39।। सूत्र- तद्भावे तदयोगादुभयव्यभिचारादपि न ।।40 ।।
26/04/2020
सूत्र- न प्रत्यभिज्ञाबाधात् ।।35।।सूत्र- सूत्रार्थ= हर वस्तु क्षणिक नहीं है, क्षणिक मानने पर पुन: स्मृति नहीं हो पाएगी इसलिए आत्मा भी क्षणिक नहीं है। सूत्र- श्रुतिन्यायविरोधाच्च ।।36।। सूत्रार्थ= श्रुति, न्याय और तर्क से विरुद्ध होने के कारण भी आत्मा के क
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सूत्र- पुत्रकर्मवदिति चेत् ।।32।। सूत्र- नास्ति हि तत्र स्थिर एकात्मा यो गर्भाधानादिना संस्क्रियते ।।33।। सूत्र- स्थिरकार्यसिद्धे: क्षणिकत्वम् ।।34।।